”नन्हीं बच्ची नहीं
जानती|वात्सल्य लुटाती आँखों में |कब उतर आएगा कोई गिद्ध और ले उड़ेगा उसका बचपन |”
१८ अप्रैल को दिल्ली में पाँच वर्षीय बच्ची गुड़िया का मामला खुला |उसके पड़ोसी ने ही उसे बंधक बनाकर दो दिन तक वहशियाना हवस का शिकार बनाया |उसके नाजुक अंग में प्लास्टिक की शीशी और मोमबत्तियाँ भर दी |बच्ची एम्स में मौत से जूझ रही है |दिल्ली के लोगों में एक बार फिर गुस्से की लहर दौड़ पड़ी है ,जो पूरी तरह जायज है |
दुराचार मानसिक रूप से झकझोर देने वाला एक ऐसा अमानवीय कृत्य है,जो किसी भी समाज के लिए नाकाबिले बर्दाश्त है |ऐसे हादसों की शिकार अगर बच्चियाँ हों,तो आत्मा कराह उठती है |कैसे होते हैं वे लोग,जिन्हें दूधमुंही बच्ची की देह भी आमंत्रित करती लगती है? वे मानसिक रोगी हैं, मनबढ़ हैं या मरद होने के अहंकार से भरे हुए?बलात्कार का कारण अत्यधिक कामुकता,पेशियों का जोर,यौन-साथी का अभाव है कि पौरुष-बुक में सबसे ऊपर होने की मानसिकता?अनगिनत प्रश्न हैं |
दुराचार मानसिक रूप से झकझोर देने वाला एक ऐसा अमानवीय कृत्य है,जो किसी भी समाज के लिए नाकाबिले बर्दाश्त है |ऐसे हादसों की शिकार अगर बच्चियाँ हों,तो आत्मा कराह उठती है |कैसे होते हैं वे लोग,जिन्हें दूधमुंही बच्ची की देह भी आमंत्रित करती लगती है? वे मानसिक रोगी हैं, मनबढ़ हैं या मरद होने के अहंकार से भरे हुए?बलात्कार का कारण अत्यधिक कामुकता,पेशियों का जोर,यौन-साथी का अभाव है कि पौरुष-बुक में सबसे ऊपर होने की मानसिकता?अनगिनत प्रश्न हैं |
यह तो तय है कि बलात्कार यौन संतुष्टि
नहीं दे सकता,हाँ मर्द-अहंकार को जरूर संतुष्ट कर सकता है |यह अहंकार उन्हें
पितृसत्ता ने दिया है,जहाँ पुरूष-लिंग सर्वोपरि है |बच्चियों की भ्रूर्ण-हत्या,उनकी
उपेक्षा,उनसे दोयम व्यवहार इस व्यवस्था में सामान्य बात है | स्त्री को
बुद्धि-विवेक से रहित देह मात्र समझना तो मानो इसकी परम्परा है |इसके लिए स्त्री
भोग की वस्तु,बच्चे पैदा करने की मशीन,दासी,दलित से भी दलित चीज मात्र है |ऐसी चीज
मात्र मानी जाने वाली स्त्री की उम्र नहीं देखी जाती,उसका मन नहीं देखा जाता,बस
उससे अपनी विकृत आकांक्षाओं की पूर्ति की जाती है | बच्चियों से बलात्कार आज की
बात नहीं है,जाने कब से यह घट रही हैं |बाल-विवाह को आप क्या कहेंगे?राजस्थान में
आज भी बाल-विवाह हो रहे हैं |बाल-विवाह की परम्परा खासी पुरानी है और इसे स्वाभाविक
माना जाता था |रवीन्द्र नाथ ठाकुर का विवाह भी ९ साल की कन्या से हुआ था |बाल-विवाह
में लड़की की उम्र कम होती थी,पर जरूरी नहीं था कि वर भी बच्चा हो|वर के बच्चा होने
पर बधू पर वर के पिता,ताऊ,बड़े भाई हाथ साफ़ कर लेते थे |गाँवों में आज भी कई बुजुर्ग
बहुओं से रिश्ते के लिए जाने जाते हैं | हाँ,तब लोक-लज्जा से ये बातें छिपा ली जाती
थीं |या फिर बच्ची डर के मारे चुप रहती थी |भले ही उसका पूरा जीवन सामान्य ना गुजरे,वह
एक बीमार जिंदगी जीती रहे |कई लेखिकाओं ने अपनी आत्म-कथा में अपने साथ बचपन में
हुए दुराचार का जिक्र किया है |अभी १३ फरवरी,२०१३को एक अखबार में सितार-मर्मज्ञ
पंडित रविशंकर की बेटी अनुष्का शंकर का एक वक्तव्य पढ़ा,जिसमें उन्होंने बताया था
कि वे महिला अधिकारों के खिलाफ आन लाईन जागरूकता अभियान शुरू करने जा रही हैं,क्योंकि
वे महिलाओं के साथ होने वाले अपराधों से पूरी तरह वाकिफ हैं |बचपन में उन्होंने
वर्षों तक तमाम तरह के शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न को झेला है,वह भी उस व्यक्ति के
हाथों,जिसपर उनके अभिभावकों ने आँख मूंद कर विश्वास किया था |लन्दन में रह रही
भारतीय संगीतज्ञ ने कहा कि –“तब मुझे नहीं पता था कि इससे किस
प्रकार निपटना है और इसे किस प्रकार रोका जा सकता है ?” नजदीकी
रिश्तेदारों,मित्रों द्वारा बच्चियों के शोषण की खबरें अक्सर दबकर रह जाती हैं |अब
मीडिया की सक्रियता से ऐसी खबरें बाहर आने लगीं हैं,वरना इनका इतिहास बहुत पुराना
है | कुछ लोगों के अनुसार-“ इस देश में ‘बाल भोग’ कोई नई बात
नहीं है, एक दक्षिणपंथी संगठन से इसे विशेष रूप से जोड़ा जाता है,यह प्रवृति
प्रगतिशीलों में भी खूब रही है |इस सम्बन्ध में कई नाम हैं|हाँ ऐसे लोग
बालक-बालिका का भेद नहीं रखते थे | यह अलग मुद्दा है |जहाँ तक बलात्कारियों का
प्रश्न है ,उन्हें रिश्तों की मर्यादा की भी परवाह नहीं रहती |१२-१-२०१३ को
बाराबंकी थानाक्षेत्र के ग्राम रसूलपुर
में ३५ वर्षीय एक युवक ने अपनी बहन की सात वर्षीया पुत्री के साथ रेप किया |वह
अपनी भांजी को बहाने से गॉव के बाहर बुलाकर ले गया |दयनीय हालत में घर पहुँची
बच्ची के पिता ने आरोपी के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज कराया | पिछले वर्ष जारजा
कस्बे में फूफा ने सात साल की बच्ची से दुष्कर्म किया था |वाराणसी के लहँगपुर में
उसी दिन सलीम और मुन्ना नाम के मामाओं ने अपनी भांजी को आग में झोंक दिया था | फ़रवरी 2013 , भोपाल
के सभी अखबारों के मुख पृष्ठ पर एक बच्ची की विकृत देह की फोटो सहित एक खौफनाक खबर
थी -- 50 वर्षीय नाना अपने नाती और नातिन को मेले में घुमाने ले
गए ! पुलिस इन्क्वायरी में नाती ने बताया कि आखिरी बार अपनी बहन को नाना के साथ ही
उसने देखा था ! जब उसकी कटी हुई लाश बरामद हुई तो पता चला कि नाना ने अपनी 8 वर्षीय नातिन के साथ बलात्कार किया और उसके शरीर को
कन्नी से बीचो बीच काट कर फेंक दिया ! पुलिस लॉक अप में तहकीकात के दौरान जब नाना
को पीटा गया तो उसने अपना अपराध क़ुबूल किया ! 6 फ़रवरी को अखबार में नाना की उघडी पीठ की तस्वीर थी जिस
पर गोदने से लिखा था -- '' मर्द '' ! इस
मर्दानगी से आहत , बच्ची की माँ और बलात्कारी नाना की बेटी ने कहा -- इसे
यहीं पर जिंदा जला दो !
मामा,नाना,दादा,पिता,भाई,चाचा जैसे करीबी रिश्ते जब ऐसे बहशी हो जाएँगे,तो
बाहरी लोगों से क्या उम्मीद बचेगी ?अभी कुछ दिन पहले केरल जैसे अति –शिक्षित प्रदेश
की १३ साल की स्कूली छात्रा का मामला सामने आया था कि दो साल से घर में उसका
पिता,बड़ा भाई और २-२ चाचा रोज बलात्कार कर रहे थे |इसी जगह एक ऐसा भी पिता
था,जिसने अपनी १६ साल की बेटी से ना केवल खुद बलात्कार किया,बल्कि सौ और लोगों को
भी विभिन्न समयों पर उसकी देह का भोक्ता बनाया |
बाहरी व्यक्ति तो अवसर मिलते ही
बच्चियों को अपना शिकार बना लेते हैं |बच्चियाँ आसान शिकार होती हैं |थोड़े से लालच
से वह बहला ली जाती हैं |उन्हें नहीं पता होता कि,जिन्हें वे अपना अंकल,पिता,नाना,दादा
कह रहीं हैं,वे उनके कोमल बचपने को चींथ देने को आतुर हैं | १८ दिसम्बर,१२ को कम्पेयर-गंज में मात्र १८ माह की बच्ची के साथ २५ वर्ष के विवाहित युवक ने दुराचार
किया |वह उसे खिलाने के बहाने अपने घर ले
गया था | १० अप्रैल २०११ की शाम को पश्चिम दिल्ली की के कापसहेड़ा में रहने वाले
रिक्शाचालक की तीन वर्ष की बच्ची के साथ ६० वर्षीय बुजुर्ग गार्ड ने रेप किया था
|रेप के दौरान ही बच्ची की मौत हो गई,फिर भी वह दरिंदा उसकी देह को रौंदता रहा था
|पूरे होशोहवास में वीभत्स तरीके से दुष्कर्म और हत्या करने वाले फार्महाउस के
गार्ड भरतसिंह को जनवरी २०१३ में राजधानी की एक फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने पहले
फैसले के रूप में फांसी की सजा सुनाई है क्योंकि यह मामला “दुर्लभ से दुर्लभतम “की श्रेणी में रखा गया था |देखें उक्त गार्ड को फांसी की सजा
मिलती है कि उसकी उम्र के नाते उसे माफ कर दिया जाता है |मैं इसलिए यह बात कह रही
हूँ कि केन्द्र की सिफारिश पर पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने जिन ३५ दोषियों
की मौत की सजा कम कर दी थी ,इनमें बलात्कारी भी शामिल थे |उत्तर-प्रदेश के बंटू की
मौत की सजा को माफ कर दिया गया |बंटू ने २००३ में आगरा में पाँच साल की बच्ची से
बलात्कार किया था |अस्पताल ले जाते समय बच्ची ने दम तोड़ दिया था |राष्ट्रपति ने
जून २०१२ में बंटू की दया-याचिका स्वीकार कर लिया |उत्तर-प्रदेश के ही सतीश की
सजा-ए-मौत को मई २०१२ में उन्होंने माफ कर दिया था|सतीश ने मेरठ में छह साल की
बच्ची के साथ रेप किया था |तमिलनाडु के गोपी और मोहन तथा मध्य-प्रदेश के मोली राम
और संतोष की दया याचिकाओं को भी पाटिल ने स्वीकार था |चारों को बच्चियों से
बलात्कार और हत्या के जुर्म में अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी,पर सभी मुक्त कर दिए
गए |१२ फरवरी २००९ को तमिलनाडु के जी सेल्वम ने नौ साल की स्कूली छार्ता का अपहरण
कर उसके साथ रेप किया था और फिर उसकी हत्या कर दी थी |सेल्वम को मौत की सजा तय हुई
,पर फांसी के एन वक्त सुप्रीम कोर्ट ने फांसी पर रोक लगा दी,उसे यह कदम जल्दवाजी
का लगा |न्याय मिलने में देरी और कानून के ढीले तेवर के कारण ही तो आज बलात्कारी
को ना क़ानून का डर रह गया है ,ना समाज का | ३०जनवरी १३ को गोरखपुर के बेलघाट इलाके
की हाईस्कूल की छात्रा के साथ चार युवकों ने सामूहिक बलात्कार किया |छत्र
प्रेक्टिकल की फाईल जमा करने शाहपुर स्थित एक स्कूल की तरफ जा रही थी |गाँव से कुछ
दूर बढ़ने पर नहर के समीप युवकों ने उसका अपहरण कर लिया |दुराचार के बाद अचेतावस्था
में उसे छोड़कर वे फरार हो गए|पिता ने घटना की जानकारी पुलिस को दी |आरोपी गिरफ्तार
कर जेल तो भेज दिए गए,पर ७ फरवरी तक लड़की की चिकित्सकीय रिपोर्ट तैयार नहीं हो
सकी,जिससे लड़की की हालत काफी बिगड़ गई थी |७ फरवरी १३ को पं० बंगाल के दक्षिणी २४
परगना जिले में कक्षा बारहवीं की एक छात्रा के साथ चार युवको ने बलात्कार किया,तो
इसी दिन महाराष्ट्र के नांदेड जिला के खडकी गाँव की १४ वर्षीया लड़की से तीन लोगों ने बलात्कार किया |
आखिर कौन हैं ये बाल-बलात्कारी ?कहाँ
से प्रेरित हैं ये ?इनको प्रेरित करने वाले तत्व इनके अंदर है कि बाहर |मुझे लगता
है बच्चों से दुराचार का सबसे बड़ा कारण चाईल्ड पोर्नोग्राफी के नाम पर इंटरनेट पर
उपलब्ध हिंसक सामग्री है |साइबर स्पेस पर खबर रखने वाली ब्रिटिश संस्था “इंटरनेट
वॉच फाउण्डेशन’[आई डब्ल्यू एफ ]के अनुसार बाल यौन शोषण से जुड़ी अश्लील तश्वीरें जारी
कर मोटी कमाई करने वाली वेबसाइटों की
संख्या अब तक कम नहीं हुई हैं,जबकि ब्रिटिश पुलिस और निजी समूहों ने हॉट लाईनों की
एक श्रृंखला के जरिए अभियान चला रखे हैं |जो चाईल्ड पोनोग्राफी के ऐसी गतिविधियों
में संलिप्त वेबसाईटों को कुछ घंटे के अंदर ही हटा देते हैं |पर जो वेबसाईट बच
जाती हैं,उनमें से अधिकांश का इस्तेमाल यातना युक्त तस्वीरें होती हैं |वेबसाईटों
की तस्वीरों तथा वीडियों में इस्तेमाल किए जाने वाले २४ फीसद बच्चे छह साल या उससे
कम उम्र के होते हैं |एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में साइबर स्पेस पर चाइल्ड
पोर्नोग्राफी से जुड़ी साढ़े तीन लाख वेबसाइटें सक्रिय हैं |आई डब्ल्यू एफ या उस
जैसे संगठन दो साईटों का वजूद खत्म करते हैं और चंद घंटों में चार और वेबसाईटें
प्रकट हो जाती हैं |ढेरों साईटें तो चाईल्ड मॉडलिंग और फैशन के नाम पर चलती हैं
|अर्ध नग्न बच्चों की तस्वीरें परोसने वाली इन साईटों पर पहुँचने के बाद लोगों को
ऐसे लिंक उपलब्ध करा दिए जाते हैं,जो सीधे बाल यौनाचार और चाइल्ड रेप के चित्रों
और विडियों वाली साईटों तक पहुंचाते हैं |ये साईट एक गंभीर समस्या के रूप में हैं
और लगातार चुनौती दे रहे हैं |पुलिस और इंटरनेट इन्डस्ट्री के भरपूर सहयोग के बाद
भी इन साईटों से निजाद नहीं मिल रही है |निश्चित रूप से इस दिशा में अभी काफी काम
किए जाने की जरूरत है |ऐसे साइटों को देखने वालों की मानसिकता विकृत हो जाती है |वे
बच्चों से रेप करते हैं |उनको यातना देते हैं |उन्हें इसी में विकृत संतोष मिलता
है |सबसे बड़ी बात तो यह है कि वे इसे बुरा,पाप या गलत भी नहीं मानते |यह विकृति
विदेशों में ही नहीं भारत में भी पैर पसार चुकी है |वेश्यालयों में कम-उम्र बच्चों
की माँग बढ़ रही है,इसकी पूर्ति के लिए तमाम उपाय किए जा रहे हैं |बच्चों का
अपहरण,उनके माता-पिता से खरीदकर या नौकरी दिलाने के लालच से लाकर बाल-वेश्यावृति
के दलदल में धकेला जा रहा है |कुछ समय पूर्व उत्तर-प्रदेश के एक स्थान से कुछ
बच्चियाँ बरामद की गई थीं |आठ साल की उन बच्चियों को आक्सीटोसिन का इंजेक्शन लगाकर
बड़ा बनाया जाता था,फिर उन्हें बेचा जाता था |अधिक क्या कहें,अब तो छात्रावासों में
भी बच्चियाँ सुरक्षित नहीं हैं और उनसे लगातार सामूहिक दुराचार किया जा रहा है
,वेश्यावृति कराई जा रही है |रायपुर,छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के आदिवासी छात्रावास
में हुए सामूहिक दुराचार के खुलासे से लोग अभी संभले नहीं थे कि १३-१-१३ को बालोद
जिले के एक और आदिवासी छात्रावास में सामूहिक दुष्कर्म का मामला आ गया |इस निकृष्ट
काम में आश्रम की अधीक्षिका भी संलिप्त थी |वह लम्बे समय से बच्चियों को जबरन बाहर
भेजती थी |इस घृणित कार्य का विरोध एक बच्ची ने सामने आकर किया |कांकेर कांड के
सामने आने के बाद दबाव में आई पुलिस ने इस छात्रावास से सम्बन्धित मामलों में सक्रियता
दिखाई और अधीक्षिका के खिलाफ बलात्कार एवं वेश्यावृति करवाने समेत विभिन्न धाराएँ
लगाकर उसे गिरफ्तार किया |पता चला कि लगभग छह माह पूर्व कलेक्टर से लिखित शिकायत
की गई थी,पर कोई कार्रवाही नहीं हुई |अध्क्षिका १४ वर्षों से इस छात्रावास में
पदस्थ थी और उसके प्रभावशाली राजनीतिज्ञों व अधिकारियों से काफी अच्छे सम्बन्ध रहे
हैं ,इसलिए मामला दबा दिया गया था |यहाँ तक कि पिछले माह उसे पदोन्नत कर नोडल
अधिकारी बना दिया गया था और गिरफ्तारी के मात्र दो दिन पहले वह मुख्यमंत्री डॉक्टर
रमन सिंह से सम्मानित भी की गई थी |कितनी शर्म की बात है कि जिन आदिवासियों के
जंगल से शहर आबाद हैं ,उनको शिक्षा के नाम पर क्या दिया जा रहा है ?
बच्चियों से बलात्कार करने वाले ऐसे
मनोरोगी हैं,जिन्हें ठीक करना असम्भव तो नहीं,पर मुश्किल जरूर है |उन्हें बड़ों में
कोई आकर्षण नहीं होता |वे हमेशा ऐसे बच्चियों की तलाश में रहते हैं,जो उनकी यौन-साथी
बन सके |कभी-कभी कुछ बच्चियाँ यौन-कौतुहल,लालच,मजबूरी या दबाव में आकर उनकी साथी
बन भी जाती हैं,पर यह स्वभाविक और दीर्घकालिक नहीं होता और जल्द ही उन्हें दूसरी
साथी की जरूरत पड़ती है |वे फिर या तो उन बाजारों में जाते हैं,जहाँ
बाल-वेश्यावृत्ति होती है या फिर जहाँ,जैसा मौका मिले |राजी ना होने वाली बच्चियों
से वे बलात्कार करते हैं |बच्ची जान-पहचान का हो,या जहाँ पकड़े जाने का खतरा होता
है ,वे हत्या भी कर देते हैं |
कुछ ऐसे भी दुराचारी होते हैं ,जिन्हें
बच्चे-बड़े से कोई फर्क नहीं पड़ता,बस उन्हें सुविधानुसार जो मिल जाए |इनका भी
मनोवैज्ञानिक इलाज हो सकता है |दिक्कत यह है कि इन्हें पहचाना कैसे जाय ?ये हमारे
बहुत करीब हो सकते हैं ,पर मुखौटे में |इसलिए बलात्कार निरंतर हो रहे हैं और यह तब
तक पूरी तरह खत्म नहीं होगा,जब तक बलात्कारी खुद ना चाहें |वे अपना इलाज कराकर
आसानी से अपनी विकृतियों से मुक्ति पा सकते हैं |पर वे सामने नहीं आना चाहते|
उन्हें ना तो पुलिस-कानून का डर है,ना परिवार-समाज का |ना धर्म ना ईश्वर ,ना
नैतिकता ना संवेदना |ये मानवता के शत्रु हैं ,अभिशाप हैं |ये समाज के वे सड़ चुके
अंग हैं,जिन्हें काट कर फेंक देने में ही सबका भला है,वरना भविष्य अंधकारमय होगा |
सचाई से रूबरू कराती प्रस्तुती
ReplyDeleteजब तक नारी अपने जख्मों को भूलती रहेगी तब तक ये आदि मानव पशु जात के मानव यो ही नोचते रहेंगे
आज की मेरी नई रचना
ये कैसी मोहब्बत है
खुशबू