Saturday, 26 December 2015

आग का दरिया

राजनीति आग का दरिया है |परिवार हो या पास-पड़ोस| राज्य हो या समाज |रिश्ते हों या नातें |प्रदेश हो या देश |गाँव हो या कस्बा |प्रेम हो या विवाह |अपने हों या पराएँ |दिल हो या दिमाग |साहित्य हो या कला |थियेटर या फिल्म |पुरस्कार या सम्मान,स्त्री हो या पुरूष ,नियम या कानून हर जगह एक एक जबर्दस्त राजनीति है |शह और मात की राजनीति |दिल की जगह दिमाग की राजनीति |जीत उसी की जो कूटनीतिज्ञ,दुनियादार ,बहुरूपिया ,नौटंकीबाज|सफल वही जो राजनीति की नब्ज समझ गया |वरना फ्लाप सारी संवेदना ,भावना ,अच्छाई ,सच्चाई के बावजूद |सबसे बड़ी बात राजनीति बड़ी ही सूक्ष्म होती है ,दिखाई नहीं पड़ती |कुछ लोग तो जीवन के अंतिम क्षणों तक नहीं समझ पाते ,कुछ सब कुछ खत्म होने के बाद समझते हैं |कुछ उसी में घुल-मिल जाते हैं कुछ झींकते पछताते हैं पर कुछ कर नहीं पाते हैं |कुछ ऐसे भी बदनसीब हैं जो कलम उठाते हैं और फ्लाप लेखक बन जाते हैं |

|जब स्त्री पुरूष के लिए,समाज के लिए नियम निर्धारित करना था तब हमारे नियम-निर्धारक इसी राजनीति से प्रभावित थे |जिसका खामियाजा आज भी स्त्री समाज भुगत रहा है |धर्म भी राजनीति से मुक्त कहाँ हैं ? वरना इस इक्कीसवीं सदी में भी धर्म को लेकर युद्ध की स्थिति नहीं बनती |स्वार्थ ,नफरत,ईर्ष्या,भेद ,हिंसा अभिमान इस राजनीति की पहचान है |इसके शिकार हर युग में अच्छे और सच्चे लोग रहे आज भी हैं |यह वही राजनीति है जो बच्चों ,किशोरों ,युवाओं और प्रौढ़ो तक को विभक्त मानसिकता और दुहरे व्यक्तित्व वाला बना रही है |यह वह बीमारी है जो परंपरा से सबकी रगों में पेबस्त है |आदमी जान ही नहीं पाता कि वह इस लाइलाज बीमारी से ग्रस्त है |वह समझ ही नहीं पाता कि क्यों दूसरों को दुख देकर,सताकर,शोषण कर उसे आत्मतुष्टि मिल रही है ?कभी-कभी तो वह हैरान हो जाता है कि उसने ही यह अकरणीय कर्म किया है |विकृति उसके दिल –दिमाग का इस तरह हिस्सा बन जाती है कि वह अपराध पर अपराध करता चला जाता है जाने भी अनजाने भी और फिर पूरी उम्र खुद को सही साबित करने में निकाल देता है |अपनी आत्मा को वह पहले ही मार देता है क्योंकि वह उसे रोकती है और बाद में प्रायश्चित करने को कहती है |कभी किसी आदमी को खुद को गलत कहते हुए नहीं देखे जाने के पीछे यही राजनीति है वह हमेशा दूसरों को दोष देता है |खुद को सही साबित करने के लिए भी राजनीति करता है और दूसरों को गलत साबित करने के लिए भी |दुखद यही है कि वह इन बेकार के कार्यों में अपने कीमती मस्तिष्क का एक महत्वपूर्ण हिस्सा इस्तेमाल करता है जो रचनात्मक हो सकता था ,जो राजनीति की सूक्ष्मता को पहचान कर उससे मानवता को बचाने का प्रयास कर सकता था |

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