Saturday, 7 January 2012

दूध

महरी के दो नन्हें बेटे उसके साथ-साथ काम पर जाते हैं |बड़े की उम्र पाँच वर्ष तो छोटी की उम्र तीन वर्ष है |महरी जब तक घरों में काम करती है,बच्चे बाहर या ओसारे में खेलते रहते हैं |मालकिन का दिया रूखा-सूखा,बासी रोटी -भात खाकर खुश रहते हैं |उस दिन लाख मिन्नतों के बाद मालकिन का बेटा दूध पीने को राजी हुआ था और नाक-भौंह चढ़ाए दूध पी रहा था |महरी के बेटे खेलते-खेलते उधर आ निकले |छोटे ने दूध देखा और बड़े से पूछा-'भैया ये क्या है?'बड़े ने बताया-'दूध|'
-'दूध मीठा होता है क्या?'-छोटे ने पूछा |
"नहीं ..नहीं दवा-सा कड़वा होता है|"बड़े ने समझदारी दिखाई |
-'छिः,गंदा लड़का है |दवा पीता है |'छोटे ने भी अक्लमंदी का परिचय दिया |
उनको दूध की तरफ देखते पाकर मालकिन चिल्लाई-जाओ बाहर नजर लगाओगे क्या ?खुद तो घास-भूसा भी पचा लेते हो,मेरे बेटे को तो दूध भी नहीं पचता | 

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