कुछ लोग स्त्री की उम्र के पीछे पड़े रहते हैं .स्त्री कितने वर्ष की है ,यह
सवाल तब मायने रख सकता है ,जब विवाह का प्रसंग हो ,या स्त्री
प्रेम निवेदन कर रही हो ,पर कुछ लोग हर स्त्री की उम्र जानने के
इच्छुक होते हैं .उसकी योग्यता को भी उम्र के तराजू पर तौलते है .उलटे
–सीधे रिमार्क करते है .क्यों ?
कब स्त्री को व्यक्तित्व के रूप में स्वीकारेंगे लोग?कब मानेंगे कि
परिपक्वता में भी अद्भुत सौंदर्य होता है ?पुरुष साठे पर पाठा होता है और
स्त्री माता ‘इस सामंती सोच से कब उबरेंगे लोग ?
सवाल तब मायने रख सकता है ,जब विवाह का प्रसंग हो ,या स्त्री
प्रेम निवेदन कर रही हो ,पर कुछ लोग हर स्त्री की उम्र जानने के
इच्छुक होते हैं .उसकी योग्यता को भी उम्र के तराजू पर तौलते है .उलटे
–सीधे रिमार्क करते है .क्यों ?
कब स्त्री को व्यक्तित्व के रूप में स्वीकारेंगे लोग?कब मानेंगे कि
परिपक्वता में भी अद्भुत सौंदर्य होता है ?पुरुष साठे पर पाठा होता है और
स्त्री माता ‘इस सामंती सोच से कब उबरेंगे लोग ?
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