पुरूषों
का यह कैसा चरित्र है?कहीं-कहीं वे इस बात पर इतराते मिलते हैं कि उनके कई स्त्रियों से संबंध रहे हैं और उनसे उनकी संतानें भी हैं,तो
कहीं वे पुरजोर कोशिश करते हैं कि उनकी रास लीलाएं जग-जाहिर ना हो|इतराने वालों के
बेहतरीन उदाहरणइस
वर्ष चर्चित वेबसाइट विकीलिक्स के संस्थापक जूलियन असांजे रहे,जो सभा-समाज में भी इस बात की वाहवाही लेते रहे कि दुनिया के अलग-अलग
हिस्से में उनके कई बच्चे हैं |उनकी सबसे बड़ी कामना रही कि प्रत्येक महाद्वीप में अधिक से अधिक
जूलियन हों | भारत में भी उनके जैसी मानसिकता वालों की कमी नहीं,पर खुलेआम इसे
स्वीकार करने का साहस उनमें नहीं आ पाया है|इसके सबसे ताजा सबूत नारायण दत्त
तिवारी हैं|तिवारी जी रोहित तिवारी के जैविक पुत्र होने के दावे को लगातार ठुकराए
रहे,पर डीएनए के रिपोर्ट ने सच से पर्दा उठा दिया है |अब वे क्या सफाई देंगे ?
आखिर क्यों पुरूष अपने किए पर पर्दा डालता है ?अपने प्रेम को पाप बनाते,उसका सारा दोष स्त्री पर डालते उसे एक पल भी नहीं लगता |मधुमिता हत्याकांड भी तो इसी पुरूष-चरित्र का परिणाम था |ऊपर से शास्त्र ने कह दिया -'स्त्री के चरित्र और पुरूष के भाग्य का पता नहीं होता |'और पुरूष ने स्त्री को आहत करने के लिए घातक हथियार की तरह इस फतवे का इस्तेमाल किया |स्त्री हीन-भाव से भर अनकिए अपराधों की सजा पाती रही और पुरूष अपराधी होने पर भी मूछों पे ताव देता रहा |ऐसे रिश्तों से उत्पन्न संतानें भी माँ को ही दोषी मानती रहीं |अपने परित्याग के लिए कुंती को दोष देने वाले कर्ण ने क्या सूर्य को जनता की अदालत में घसीटा ? रोहित शेखर ने जग-हंसाईं की परवाह न करते हुए अपने पुत्र होने को साबित किया और अपनी माँ का मुख उज्ज्वल किया,इसके लिए उन्हें साधुवाद |कम से कम अब तो ऐसे पुरूष-चरित्र उजागर होंगे |मैं तो आज से ही कहती हूँ -पुरूष के चरित्र को देवता भी नहीं समझ सकते.इसलिए स्त्रियों सावधान |भाग्य तुम्हारा भी होता है |पौरूष तुममें भी है |
padh kar aacha laga magar jimmedaari hi utani hai toho dono ko apne apne dosh ko manna hoga isme koi ek doshi nahi hai
ReplyDeleteRisub Rastogi