एक स्त्री-[ दूसरी से]चाहें कुछ भी हो जाए ,स्त्री को अपने सारे रहस्य मन के तहखाने में दफ़न रखना चाहिए |प्रेम के आवेग या विश्वास में पुरूष को नहीं बताना चाहिए,क्योंकि गुबार उतरते ही पुरूष स्त्री की कमजोरियों पर ताने कसने लगता है |उसका जीना मुहाल कर देता है ,परित्याग भी कर सकता है
दूसरी स्त्री -लेकिन अपने प्रिय से कोई बात छिपाना ,उसके साथ धोखा नहीं होगा क्या ?
पहली स्त्री -कदापि नहीं ,क्योंकि किसी भी पुरूष के पास इतना बड़ा जिगर नहीं होता कि स्त्री की फिसलन को क्षमा कर दे |ऐसा जिगर तो सिर्फ स्त्री के पास होता है |
दूसरी स्त्री -लेकिन अपने प्रिय से कोई बात छिपाना ,उसके साथ धोखा नहीं होगा क्या ?
पहली स्त्री -कदापि नहीं ,क्योंकि किसी भी पुरूष के पास इतना बड़ा जिगर नहीं होता कि स्त्री की फिसलन को क्षमा कर दे |ऐसा जिगर तो सिर्फ स्त्री के पास होता है |
No comments:
Post a Comment