Thursday 10 April 2014

कैसे पढ़े लड़कियाँ


सुरक्षित माहौल में शिक्षा हासिल करना हर लड़की का मानवाधिकार है |पर यह दुखद है कि शिक्षण संस्थाओं में लड़कियों के साथ ना केवल दोयम दर्जे का व्यवहार किया जाता है बल्कि उनपर यौन हमले भी हो रहे हैं |लड़कियों को शिक्षा की कीमत अवांछित अशलील हरकतों ,फब्तियों को सहकर  व यौन उत्पीड़न का शिकार होने के रूप में चुकानी पड़ रही है |प्राईमरी की नन्ही बच्चियाँ भी सुरक्षित नहीं हैं |दुखद तो यह है कि इस तरह के हमलावरों में उनके अध्यापक भी शामिल हैं |और चिंताजनक यह है कि यह मसला महज अपने देश का नहीं बल्कि पूरी दुनिया का है |एक तरफ कहा जा रहा है कि कम से कम प्राईमरी व सैकेंडरी तक शिक्षा हर लड़की का अधिकार है और राज्य सरकारों का दायित्व है कि लड़कियों के लिए यह अवसर उपलब्ध कराए ,दूसरी तरफ लड़कियों का मनोबल तोड़ने की यह अमानवीय कोशिश !आखिर इसकी वजह क्या है ?मेरे हिसाब से तो शिक्षण संस्थाओं में लड़कियों को यौन-हिंसा का निशाना बनाने की प्रवृति का सबसे बड़ा कारण पुरूष वर्चस्व संस्कृति है जो लिंग आधारित ऐसी हिंसा की अनदेखी करती है |इस संस्कृति में लड़की से लड़के जैसा समान व्यवहार नहीं किया जाता ,ना ही यह लड़कियों की शिक्षा को लड़कों जितना जरूरी मानती है|स्कूली लड़कियों पर यौन-हिंसा का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है |उनका मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है |उनका व्यवहार व भावनात्मक सम्बन्ध गड़बड़ा जाता है |उनमें निराशा तथा आत्मघाती प्रवृति पैदा हो जाती है |शराब व नशीली दवाओं की भी वे आदी हो सकती हैं |उन्हें देखकर अन्य लड़कियों का भी मनोबल टूटता है और यही यह संस्कृति चाहती है |चूँकि आज के समय में लड़कियों को पढ़ने के मौके मिल रहे हैं और वे इस मौके का फायदा उठाकर अपनी क्षमता का परिचय देते हुए निरंतर आगे बढ़ रही हैं ,इसलिए उन्हें पीछे धकेलने के लिए यौन-हमलों में निरंतर बढोत्तरी हो रही है |इसे रोकने का यही उपाय है कि राज्य सरकारें अपना दायित्व दृढ़ता से निभाएं,ऐसे हमलों की रोकथाम करें अर्थात लड़कियों के लिए सुरक्षित माहौल तैयार करें|अक्सर कहा जाता है कि तमाम सरकारी कोशिशों के बावजूद हर लड़की तक शिक्षा नहीं पहुँच पा रही है क्योंकि बहुत सारी लड़कियों में शिक्षित होने का आकर्षण नहीं है |इसके लिए जरूरी है कि उत्तम गुणवत्ता वाले स्कूल खोले जाएँ ,लड़कियों की आवश्यकता के संसाधन पर्याप्त मात्र में उपलब्ध कराए जाएँ ,उनकी सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था हो सिर्फ मुफ्त शिक्षा लड़कियों को स्कूल में रोके रखने के लिए काफी नहीं है|


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