Friday 18 November 2011

मनोरंजन

ट्रेन के इंतजार में मैं प्रतीक्षालय में बैठी हुई थी| रात का समय ...उस पर कड़ाके की ठंड |स्वेटर ..शाल ...गर्म बिस्तर के बाद भी हाथ-पैर सुन्न हुए जा रहे थे|तभी बाहर प्लेटफार्म से गाने की आवाज आई |मासूम गले की लोच भरी आवाज,पर गीत के बोल अश्लील -'आधी-आधी रतिया बुढऊ माँगत बाने पानी|' गीत के हर बोल के साथ लोगों का अट्टहास गूंजता था|उत्सुकता के कारण खिड़की का दरवाजा थोड़ा-सा खोलकर देखा |एक दस वर्षीय बालिका लोगों से घिरी हुई थी ||जगह-जगह से फटे ..पेबंद लगे घाघरे-चोली में बड़ों की तरह अभिनय करती वह बार-बार वही गीत गाये जा रही थी |लोग आपस में मजाक करते उससे उसी गीत की फरमाईश कर रहे थे|शायद गीत की उत्तेजना में वे इंतजार और ठंड को भूले जा रहे थे |उन्हें तो यह भी याद नहीं था कि इसी उम्र की उनकी बेटी,बहन या पोती घर में आराम से सो रही होगी और यह पेट के लिए .....|वे मगन थे ....|ऐसा मनोरंजन और कहाँ मिलता उन्हें ,वह भी चंद पैसों में?|इससे ज्यादा पैसा तो वे पान की पीक में थूक देते हैं | 

Wednesday 16 November 2011

पंगा मत लो

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन मेधा-केन्द्र विश्वविद्यालय में एक लड़की का दुपट्टा खींच कर अपमान किया गया |सैकड़ों पुरूष तमाशाई बने खड़े रहे |लड़की ने पुरूष तमाशाइयों पर थूका और बिफरी हुई गुरूजनों के पास गयी |गुरूजनों ने लड़की को समझाया -जो हुआ,उसे भूल जाओ |तुम लड़की हो ...चुप रहो ...|वे लड़के हैं,कुछ भी कर सकते हैं तुम्हारे साथ|पढ़ने के लिए तुम्हें रोज यहाँ आना है|कहाँ तक कोई तुम्हारी रक्षा करेगा ?लड़कों से पंगा मत लो |

Sunday 6 November 2011

ये कैसा प्रेम ?


रात के बारह बजे थे |अभी –अभी बड़ी मुश्किल से उसकी आँखें लगी थीं |तभी ट्रिन...ट्रिन ..ट्रिन लगातार फोन की घंटी बजने लगी |उसने घड़ी की तरफ देखा और झुंझलाकर उठ बैठी|
-उफ़, इतनी रात को कौन हो सकता है?अपने सभी परिचितों,मित्रों व रिश्तेदारों को रात दस बजे के बाद फोन करने को वह मना कर चुकी थी |कहीं कोई इमरजेंसी तो नहीं |सोचते हुए उसने फोन उठा लिया |
-हैलो ,कौन बोल रहा है ?
पहचानो ....|कोई लार टपकाऊ आवाज थी |उसका मन घिना गया |
-नहीं पहचान रही ,नाम बताएँ...|
अब ये हाल हो गया कि आवाज नहीं पहचान पा रही हो |लगता है बहुत सारे फोन आते हैं आशिकों के ...|
-नाम बताएँ...वरना फोन रखती हूँ ...इतनी रात को पहचान कराने के लिए फोन किया है |
अरे..रे .. नहीं डियर ऐसा गजब नहीं करना ...मैं हूँ इंद्र ...|
-आप सर..इतनी रात को ...क्या बात है ?
कुछ नहीं ..अकेला था |पत्नी मायके गयी हैं |नींद नहीं आ रही थी |सोचा तुम भी तो अकेली रहती हो |तुमसे ही बात करके मन बहलाऊँ |क्या कर रही थी ?
आवाज से टप-टप कामुकता टपक रही थी |उसका जी चाहा,कसकर उन्हें झाड़ दे |वैसे तो बड़े आदर्शवादी बनते हैं,पूरे सत्यवान !पर एक रात भी औरत के बिना नहीं गुजार पा रहे |पत्नी नहीं तो दूसरी औरत ही सही |दूसरी औरत भी शिक्षित ,सम्भ्रांत,सुंदर और जवान हो,साथ ही फूटी खर्च या बदनामी का डर भी ना हो |वाह रे आदर्श ! 
पर वह चुप रहकर वह गुस्सा पीती रही |कितनों को दुश्मन बनाया जाए |
क्या हुआ ,कुछ बोल नहीं रही |आई लव यू |
-क्या यह बात आप सबके सामने कह सकते हैं ?
प्रेम को पोस्टर बनाना जरूरी तो नहीं |यह दो लोगों के बीच की बात है |मन की बात है | देखो ,हर पुरुष को पत्नी के अलावा एक ऐसी प्रेयसी की चाहत होती है ,जो उसके मन को झंकृत करती रहे |तुम मेरी जीवन-प्राण हो |मुझे जीवंत करने वाली ,ऊंचाईयों तक पहुँचाने वाली प्रेयसी |
-पर मैं आपसे प्रेम नहीं करती |आप एक विवाहित पुरूष हैं |आप कैसे किसी दूसरी स्त्री से प्रेम कर सकते हैं?
क्यों नहीं कर सकता ?प्रेम कोई बंधन नहीं मानता |
-पर प्रेम किसी का हक भी नहीं छीनता |
यह आदर्शवादी बातें है,सच्चाई नहीं |फिर मैं पत्नी को छोड़ तो रहा नहीं,उसे तन –मन –धन का सारा सुख व सम्मान तो दूंगा ही |
और मुझे ....सारा उच्छिष्ट ...|
ऐसा क्यों सोचती हो ,तुम्हें भी प्यार मिलेगा ,पर समाज के सामने नहीं |मेरी कुछ सामाजिक –पारिवारिक मर्यादाएं हैं|
-आप ऐसे प्रेम के सहारे अपने जीवन में रंग भर सकते हैं ,पर मैं नहीं |
आखिर क्यों नहीं?तुम मुझसे प्रेम क्यों नहीं कर सकती ?
-वह इसलिए कि आपके जीवन में मेरे लिए बस थोड़ा-सा स्पेस है |आप अनगिनत रिश्तों को जीते हुए पार्ट-टाईम में प्रेम कर सकते हैं |इससे आपका व्यवस्थित सामाजिक व पारिवारिक जीवन सामान्य गति से चलता रह सकता है |शायद आप मुझसे जो चाहते हैं ,वह आपको मिल जाए,पर मेरी चाहत आप पूरी नहीं कर सकते |
तुम्हारी चाहत जान सकता हूँ क्या ?
-मैं ज्यादा नहीं,पर अपने पुरूष का सम्पूर्ण व सर्वकालिक प्रेम चाहती हूँ |कुछ क्षणों के मिलन के बाद प्रेमी से अलग हो जाना,उसकी याद में तडपते रहना |अपनी जरूरतों,चाहतों के लिए दूसरों का मुँह अगोरना |सर्वस्व समर्पण के बाद भी साधिकार उसकी बांह पकडकर समाज में न चल सकना मुझे पसंद नहीं आ सकता |
ऐसा पुरूष तुम्हें नहीं मिलेगा |मुझे तो लगता है जीवन में जो कुछ सहजता से मिल रहा हो,उसे अपना लेने में ही सुख है |तुम सुंदर हो,मेधावी भी,इसलिए मैं तुमसे आकर्षित हूँ,वरना मेरे पास तुमसे भी अधिक सुंदर पत्नी है और शहर में स्त्रियों की कमी नहीं |मैं तो दयावश तुम्हारे सूने जीवन में खुशी के कुछ फूल खिलाना चाहता था |
वह हतप्रभ थी |क्या इस समाज में अकेली स्त्री इतनी दयनीय व बेचारी समझी जाती है कि उसकी योग्यता,आत्मनिर्भरता को कोई मोल नहीं रह जाता ?अगर प्रेम दया वश ही मिलना है,तो ..थू है ऐसे प्रेम पर | कोई जरूरी तो नहीं पुरूष और उसका प्रेम |
किस सोच में डूब गयी?कुछ मीठी बात करो ना ,मुझे नींद नहीं आ रही |
-पर मुझे बहुत नींद आ रही है |
कहते हुए उसने फोन काट दिया |सच ही उसे सुकून की नींद आ गयी |

Saturday 5 November 2011

अंतर

एक तलाकशुदा पुरूष ने एक परित्यक्ता से विवाह किया |स्त्री हर मामले में पुरूष से बीस थी |पुरूष के मित्रों में चर्चा छिड़ी |एक ने कहा-'भाग्यवान है रमेश,पहले से भी अधिक रूपवती,गुणवती पत्नी मिली है उसे|'दूसरे ने कहा-'माडल कितना भी बढ़िया हो,लेकिन यार माल तो सेकेंडहैंड है|'सभी मित्रों ने समवेत स्वर में ठहाका लगाया |
स्त्री की सहेलियों ने कहा-"कितने महान हैं जीजा जी !बिलकुल देवता,वरना आजकल कौन बासी फूल स्वीकारता है ?चाहते तो कुँवारी लड़की आसानी से मिल सकती थी|"
शादी के एक सप्ताह बाद पुरूष ने स्त्री से कहा-'मैं जब भी तुम्हें छूता हूँ |मेरे मन में ख्याल आता है,तुम्हें पहले भी किसी ने इसी तरह छुआ है और फिर मेरा मन घृणा से भर जाता है|'स्त्री ने कहना चाह-"ऐसा ख्याल मुझे भी तो आ सकता है |तुम भी तो मेरी ही तरह वर्षों दूसरी स्त्री के पास रह चुके हो|"पर वह चुप रही| वह जान गयी थी कि ऐसी शिकायत सिर्फ पुरूष करते हैं,स्त्री नहीं | 

Thursday 3 November 2011

प्रेमी- पांच लघु-कथाएँ

एक -सच 
एक तरफ प्रेमी दूसरी लड़की से विवाह करने जा रहा था,दूसरी तरफ प्रेमिका से 'आई लव यू' कहे जा रहा था |प्रेमिका हैरान थी कि सच क्या है ?
दो -दुनियादार 
एक दिन प्रेमी कहने लगा -मुझे हमउम्र लड़कियाँ पसंद हैं |विचारोंके आदान-प्रदान,सहज रिश्ते और आपसी सामंजस्य के लिए यह जरूरी है |
दूसरे ही दिन उसने अपने से आधी उम्र की लड़की से शादी कर ली |
तीन -मजबूर 
प्रेमी प्रगतिशील था |जाति-धर्म,छूआछूत से उसे नफरत थी |विभिन्न जाति-धर्म की अनगिनत लड़कियाँ इसी कारण उसकी दोस्त थी |एक से तो उसके रिश्ते अंतरंग भी हो गए थे |उस लड़की ने उसके सामने विवाह का प्रस्ताव रखा,तो उसने कहा -तुम सुंदर हो |तुममें वे सारे गुण हैं,जो मुझे पसंद है,पर मैं मजबूर हूँ |तुमसे विवाह नहीं कर सकता |दरअसल मैं अपनी माँ और बहनों से बहुत मोहब्बत करता हूँ और उनके हित के लिए मुझे अपनी जाति में ही विवाह करना होगा |
चार -खुशी 
'तुम मेरी शादी में आ रही हो ना'-प्रेमी ने फोन पर प्रेमिका से पूछा |
प्रेमिका ने लगभग रोते हुए कहा -कैसे आ पाऊँगी?अपनी आँखों के सामने तुम्हें किसी और का होते कैसे देख पाऊँगी ?
प्रेमी गुस्से से बोला -तुम मेरी खुशी नहीं देख सकती|आज से हमारा रिश्ता खत्म ...|
पांच -आत्महत्या 
प्रेमी ने दूसरी लड़की से शादी कर ली |बहुत दिनों बाद उसे प्रेमिका की याद आई |उसने अपने दोस्त से पूछा-कहाँ है?जिन्दा है कि मर गयी |
दोस्त -उसने नए ढंग से आत्महत्या कर ली |
'क्या मतलब ?'
उसने एक शराबी से शादी कर ली है |