Saturday 5 November 2011

अंतर

एक तलाकशुदा पुरूष ने एक परित्यक्ता से विवाह किया |स्त्री हर मामले में पुरूष से बीस थी |पुरूष के मित्रों में चर्चा छिड़ी |एक ने कहा-'भाग्यवान है रमेश,पहले से भी अधिक रूपवती,गुणवती पत्नी मिली है उसे|'दूसरे ने कहा-'माडल कितना भी बढ़िया हो,लेकिन यार माल तो सेकेंडहैंड है|'सभी मित्रों ने समवेत स्वर में ठहाका लगाया |
स्त्री की सहेलियों ने कहा-"कितने महान हैं जीजा जी !बिलकुल देवता,वरना आजकल कौन बासी फूल स्वीकारता है ?चाहते तो कुँवारी लड़की आसानी से मिल सकती थी|"
शादी के एक सप्ताह बाद पुरूष ने स्त्री से कहा-'मैं जब भी तुम्हें छूता हूँ |मेरे मन में ख्याल आता है,तुम्हें पहले भी किसी ने इसी तरह छुआ है और फिर मेरा मन घृणा से भर जाता है|'स्त्री ने कहना चाह-"ऐसा ख्याल मुझे भी तो आ सकता है |तुम भी तो मेरी ही तरह वर्षों दूसरी स्त्री के पास रह चुके हो|"पर वह चुप रही| वह जान गयी थी कि ऐसी शिकायत सिर्फ पुरूष करते हैं,स्त्री नहीं | 

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