Sunday 11 September 2011

दयालु

वे बड़े दयालु थे |बाल -श्रमिकों को देखकर उनका दिल रो पड़ता |उन्होंने बाल -कल्याण के लिए अनेक कार्यक्रम चला रखे थे ,जिनमें सरकार भी सहयोग कर रही थी |
उस दिन वे एक समारोह में भारत के नौनिहालों के भविष्य पर भावुक भाषण देकर लौटे |तपती दुपहरिया थी |घर पर सिवाय दस वर्षीय नौकर के सिवा कोई न था |घंटी बजाने पर दरवाजा खोलने में दो मिनट की देर हुई |नौकर नींद से बोझिल आँखों को खोल नहीं पा रहा था |वे गुस्से से भर उठे -"हरामजादे .....मादर.....तेरी ......|" गाली बकते हुए उन्होंने उसे झन्नाटेदार तमाचा दे मारा |नौकर रोता हुआ अंदर गया और खाने की मेज पर खाना लगाने लगा |उन्होंने खाना खाया और बेडरूम में चले गए |नौकर ने उनकी जूठन को मुँह लगाया ही था कि उन्होंने आवाज दी |हाथ धोकर वह सहमता  हुआ -सा अंदर गया |उन्होंने बड़े ही रोमांटिक दृष्टि से उसे देखा और बिस्तर पर खींच लिया |

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