Saturday 1 October 2011

शक्तिपूजा की सार्थकता

शक्ति-पूजा यानी स्त्री-पूजा के दिन हैं |अच्छा लग रहा है कि कम से कम वर्ष के दस दिन तो पुरूष स्त्री के आगे नतमस्तक होता है'|पर उसके बाद ....३५५ दिन ....!.क्या स्त्री देवी रह जाती है ?रहे भी कैसे !खामोश जो नहीं रहती ,साकार जो हो जाती है ,खिलाफत जो करती है ,उनकी इच्छा के अनुसार आचरण जो नहीं करती |मिट्टी की देवी हो या पत्थर की ,उसे वे अपनी इच्छा से गढ़ते हैं ,जेवर-कपड़े पहनाते  हैं,जो चाहते हैं,करते हैं और वह चुप रहती है ,इसीलिए तो पूजनीय है|बिगड़ी हुई स्त्री का पुरूष क्या करे ?
आप तो जानते ही होंगे कि शक्ति का उदभव पुरूष-देवों के सम्मलित तेज से हुआ था,किसी देवी का तेज उसमें शामिल नहीं था|शिव के तेज से शक्ति का मुख ,यमराज से माथा व केश ,विष्णु से भुजाएं ,चन्द्रमा से वक्ष ,इंद्र से कमर ,ब्रह्मा से चरण ,सूर्य से पैरों की अंगुलियाँ प्रजापति से दांत ,अग्नि से तेज ,वायु से कान तथा अन्य देवताओं के तेज से अलग-अलग अंग बने [अपवाद स्वरूप इनमें तीन देवियाँ शामिल हैं ,पर उनका पर्याय भी पुलिंग है ] शक्ति पुरूषों द्वारा गढ़ी गयी है ,इसलिए उसे पूजा जाता है |अपनी रक्षा करवाई जाती है और काम निकलते ही विदा कर दिया जाता है ,फिर शुरू हो जाता है स्त्री -हिंसा का दौर |वैसे कुछ बड़े मर्द [?]दस दिन भी सब्र नहीं कर पाते |उदाहरण देखिए -३०सितम्बर को गोरखपुर में ही[ऐसी घटनाएं दुसरे स्थानों पर भी हुई होगी] नौ वर्ष की बालिका से दुराचार हुआ |दहेज की मांग को लेकर एक  गर्भवती को इतना पीटा गया कि उसकी हालत गम्भीर है, पिता ने उसे जिला महिला अस्पताल में भरती कराया है|[ज्यादा बताकर उन भक्तों का मन खराब नहीं करना चाहती,जो सच्चे मन से पूजा-व्रत कर रहे हैं,यह टिप्पणी उनके लिए है भी नहीं] इसी शक्ति-पूजा के दिन एक बेटे ने अपनी ही माँ को जिन्दा फूंक दिया था |एक ने बाकायदा सुपारी देकर माँ को बुरी तरह तड़पाकर मरवाया[माँ ने उसकी आवारगी के कारण पिता को रूपये देने से मना कर दिया था ,इसलिए सबसे पहले उसने माँ की वह जीभ कटवाई ,जिससे मना किया था] बूढ़ी माँ को सड़क,जंगल व वृद्धाश्रमों में पटक आने वाले,या घर में ही अपमानित व प्रताड़ित करने वाले बेटों की शक्ति पूजक इस देश में कमी नहीं है | 
क्या स्त्री का सम्मान न करने वालों से स्त्री रूपा शक्ति प्रसन्न हो सकती है ?कदापि नहीं|तो आओ मित्रों,स्त्री के प्रति सम्मान भाव  जगाने के लिए सामंती मानसिकता बदलें ,स्त्री-हिंसा समाप्त करने का संकल्प लें |ऐसा करने से ही शक्ति प्रसन्न होंगी,और यह समाज-संसार सुखी होगा |

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