Friday 14 October 2011

शोक

दो सम्प्रदाय के युवक एक दिन एक-दूसरे से भिड़ गए |पहले ने दूसरे को माँ की गाली दी |दूसरे ने माँ के साथ बहन को भी शामिल कर लिया |दोनों ने अपने-अपने मर्द पूर्वजों के संबंध एक-दूसरे की स्त्री पूर्वजों से साभिमान स्थापित करवाया |बात बढ़ती गयी|लोगों ने बीच-बचाव कर दोनों को घर जाने को कहा |युवकों का क्रोध तो समय के साथ थोड़ा कम हुआ,पर वैर मुरब्बे की तरह टिकाऊ हो गया|एक दिन पहले ने दूसरे की बहन को छेड़ दिया,तो दूसरे ने मौका पाकर उसके बहन की इज्जत लूट ली |दुश्मनी बढ़ गयी,यहाँ तक कि एक दिन दोनों संप्रदायों में ठन गयी |दंगा भड़का|दोनों संप्रदायों ने एक-दूसरे के घर की स्त्रियों को लूटा-पीटा और अपमानित किया |दंगा खत्म हुआ,तो दोनों तरफ के मर्द अपनी जीत का जश्न मनाने लगे, पर उनकी औरतें अपने औरत होने पर शोक मना रही थीं |  

1 comment:

  1. वे भीड़ नहीं गए थे.....भिड़ गए थे। कृपया ठीक कर लें।

    ReplyDelete